
What is White Collor Crime in Hindi –
White collor crime :- कथित तौर पर 1939 में तैयार किया गया, सफेदपोश अपराध शब्द अब व्यापार और सरकारी पेशेवरों द्वारा किए गए धोखाधड़ी की पूरी श्रृंखला का पर्याय बन गया है। इन अपराधों को छल, छिपाव या विश्वास के उल्लंघन की विशेषता है और यह शारीरिक बल या हिंसा के आवेदन या खतरे पर निर्भर नहीं है।
सफेदपोश (White Collor Crime) अपराध कितना गंभीर?
व्हाइट-कॉलर (White collor crime) घोटाले एक कंपनी को नष्ट कर सकते हैं, अपनी जीवन भर की बचत मिटाकर परिवारों को तबाह कर सकते हैं, या निवेशकों के अरबों डॉलर (या तीनों) खर्च कर सकते हैं। आज की धोखाधड़ी योजनाएं पहले से कहीं अधिक परिष्कृत हैं, और एफबीआई अपराधियों को ट्रैक करने और घोटाले शुरू होने से पहले रोकने के लिए अपने कौशल का उपयोग करने के लिए समर्पित है।
श्वेत पोश अपराध के प्रमुख कारण क्या है – What is the main cause of White Collar Crime
श्वेत पोश अपराध के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1) स्वार्थ वाद:- जब मानव स्वार्थ वाद के वशीभूत (मे पड़कर) हो जाता है तब वह स्वार्थ वाद की पूर्ति के लिए बड़े से बड़ा अपराध कर सकता है । सफेद पोश अपराधों के पीछे जल्दी ही अपार धन कमा लेने का स्वार्थ और भावना प्रत्यक्ष रूप से परिलक्षित होती है । खाद्य पदार्थों और दवाइयों में मिलावट करना, गुमराह करने वाले विज्ञापन एवं व्यापार चिन्हों के नकल करना आदि अपराध इस स्वार्थ भावना का प्रत्यक्ष प्रमाण है ।
2) अपर्याप्त दंड :- श्वेत पोश अपराधों के लिए समान्यता सजा का प्रावधान नहीं होता है । यह अपराध प्रशासकीय न्यायाधिकरण द्वारा सुने जाते हैं ।जो इन्हें सजा नहीं दे सकते केवल जुर्माना कर सकते हैं । अतः अपराधी को जेल जाने का ध्यान नहीं रहता और अगर अपराध प्रमाणित ना हो सका तो बड़ी रकम हाथ लगने का लालच भी बना रहता है ।
3 ) न्यायिक पक्षपात :- श्वेत पोश अपराधी उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त करने के कारण उनके साथ पक्षपात पूर्ण रूप अपनाया जाता है । सरकार में उसी वर्ग के लोग होने से उनके विरुद्ध कठोरता नहीं बरती जाती है ।
4) जनता की सहानुभूति :- समाज का श्वेत पोश अपराधियों के प्रति सदैव नरम रुख रहा है । समाज में उच्च प्रतिष्ठित व्यक्ति होने के कारण समाज उनके खिलाफ संगठित नहीं हो सकता ।
5) जागरूकता का अभाव – समाज के निम्न वर्ग में जागरूकता का अभाव है । वह कानून कि सही जानकारी नही रखते या यू कहो कानून को नहीं समझते । इसलिए उन्हें यह पता नहीं हो पाता कि उनका शोषण किस ढंग से किया जा रहा है, वह अपराध है इसलिए ऐसे अपराधों के रिपोर्ट तक नहीं हो पाती ।
6) गोपनीयता:- इस प्रकार के अपराध पर्दे के पीछे किए जाते हैं इसलिए जानकारी में नहीं आ पाते । पहले तो जागरूकता के अभाव में जनमत इन अपराधियों के विरुद्ध जागृत ही नहीं हो पाता । मगर ऐसा होने की संभावना भी हो तो समाचार पत्रों द्वारा इन अपराधों को प्रकाश में नहीं लाया जाता बल्कि उन पर पर्दा डाला जाता है ।
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